Vijaya Jain 0 Posted August 2, 2018 Report Share Namostu Gurudev .Mann ke dears pnchendryo Ka bhog to manv karta hai par Mann rupi horse par swar hokar eski disaa bodh Dene Mai aap hi samrth hai. Link to comment Share on other sites More sharing options...
Minni Jain 3 Posted August 2, 2018 Report Share शीर्षक- इंद्रियों पर नियंत्रण करके मन सयंमित होगा 1 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ajit K. Jain 2 Posted August 2, 2018 (edited) Report Share इन्द्रियों पर विजय पाना ही मुक्ती पथ है 50 minutes ago, Minni Jain said: शीर्षक- इंद्रियों पर नियंत्रण करके मन सयंमित होगा Edited August 2, 2018 by Ajit K. Jain Link to comment Share on other sites More sharing options...
Mrs Amita jain 2 Posted August 2, 2018 (edited) Report Share नमोस्तु गुरुवर,नमोस्तु गुरूवर,नमोस्तु गुरूवर शीर्षक: पंचइन्द्रियों को नियंत्रित कर मन एकाग्र करना । हम आचार्य श्री के चरणों की धुल भी नही हैं तो उनकी मधुर वाणी को अपने शव्दों में वर्णीत कैसे कर सकते हैं । Edited August 2, 2018 by Mrs Amita jain Link to comment Share on other sites More sharing options...
Nirmala sanghi 4 Posted August 4, 2018 Report Share गुरुवर के चरणों में नमन हमारे Link to comment Share on other sites More sharing options...
Nirmala sanghi 4 Posted August 4, 2018 (edited) Report Share आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में नमन शीर्षक है मनएवं 5 indriya keविषयों पर नियंत्रण रख कर भगवान बनने की ओर अग्रसर होना पुरुषार्थ करना मन रूपी घोड़े पर लगाम थामकर जब हम बैठेंगे तभी हम आगे बढ़ पाएंगे जैसे कि घुड़सवार अपने पैर रखने के साधन को स्थिर रखता है और पीठ व गर्दन के बीच नियंत्रण रखता है। उसी प्रकार हम को अपने मन के साथ पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण रखना पड़ेगा इसके बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते वहांगु गुरुदेव का आशीर्वाद भी वहां काम नहीं कर सकता । हमअपने आप को भगवान बनाना चाहते हैं अभीतो हम बागवान भी नहीं बने । हमसही समय पर पुरुषार्थ कर सके सच्चापुरुषार्थ कर सके । इसकेलिए हमें मन एवं पंचेंद्रिय विषयों को अपने नियंत्रण में लेकर आत्म साधना काअवलंबन बनाना होगा 8स स्पर्श के 5 रस 2 घाण 5 चक्षु और कर्ण के शब्द इन पर हमें नियंत्रण करना होगा । शब्दोंमें बहुत बौध है लेकिन फिर भी मन को संगीत अच्छा लगता है । हमक्या हैं मन के गुलाम क्योंकि हमें कीर्ति यशोगान सदकार पुरस्कार यही सब अच्छा लगता है । हमको यदि भगवान बनना है तो हमें प्रशंसा से दूर रहकर अपने मन व पांचों इंद्रियों पर हुकूमत करते हुए मन को आस्था के माध्यम से दृढ़ करना होगा। स्वयं के निज के उपादान को जागरण के बिना हम अपने मन रूपी घोड़े पर लगाम नहीं लगा सकते। जब मां जबरस्ती दूध पिलाती है तब मन गुटकता नहीं उल्टी हो जाती है तब भूख लगती है तो मन समझता है मेरी शक्ति का दुरुपयोग है परंतु यदि हम मन को प्रशिक्षित करें मन के विचार आई लगाम लगावे तो हम भी अपने आप को मन के माध्यम से नियंत्रित कर सकते हैं अतीत की घटना व कर्म उदय में आते रहते हैं तो बे लगाम को पछाड़ कर अपना रूप दिखा देता है । ऊपर बैठने के बाद पैर रखने के बाद साधन रखता है ताकि वह एक से मन भाग्य तब भी व्यस्त रह सके खड़ा रह सके खड़ा रहने की क्षमता सके उससे पेट में गर्दन के बीच नियंत्रण रखता है तो हमें भी अपने मन रूपी घोड़े को नियंत्रण में रखता है पिंडली भरोसा करके रख परंतुयदि उस पर बैठने वाला हमारा मन भगवान बनाना चाहता है तो हमें पंचेंद्रिय के व्यापारियों को मन के माध्यम से लगाम कस कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होना पड़ेगा । जयजिनेंद्र Edited August 4, 2018 by Nirmala sanghi Link to comment Share on other sites More sharing options...
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