मृदु मंजुलता ललित लता पर कल तक थी मुकुलित कली आज उषा में खुली खिली है और सुषमा सुरभि लेकर! कल रहेगी काल-गाल में कवलित होकर! किन्तु सत् की कमनीयता वह सातत्य ले साथ सब में ढली है उसकी छवि किसे मिली है ?