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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पेट से पेटी

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    अन्न पान से

    पेट की भूख

    जब शान्त होती है

    तब जागती है

    रसना की भूख,

    रस का मूल्यांकन!

    नासा सुवास माँगती है

     

    ललित - लावण्य की ओर

    आँखें भागतीं हैं,

    श्रवणा उतारती  

    स्वरों की आरती है  

    मन मस्ताना होता है

    सब का कपताना होता है

    आविष्कार कपाट का होता है

    अन्यथा

     

    फण - कुचली - घायल नागिन - सी

    बिल से बाहर

    निकलती नहीं हैं

    ये इन्द्रिय - नागिन!


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