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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • मानस दर्पण में

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    मिट्टी की दीपमालिका

    जलाते बालक-बालिका

    आलोक के लिए

    ज्ञात से अज्ञात के लिए

    किन्तु अज्ञात का / अननुभूत का / अदृष्ट का

    नहीं हुआ संवेदन / अवलोकन

     

    वे सजल-लोचन

    करते केवल जल विमोचन...

    उपासना के मिष से

    वासना का, रागरंगिनी का

    उत्कर्षण हा ! दिग्दर्शन...

    नहीं......नहीं ..... कभी नहीं...

    महावीर से साक्षात्कार...

     

    वे सुंदरतम दर्शन

    उषा वेला में

    गात्र पर पवित्र

    चित्र-विचित्र

    पहन कर वस्त्र

    सह-कलत्र-पुत्र

    युगवीर चरणों में

     

    सबने किया मोदक समर्पण

    किन्तु खेद है...

    अच्छ स्वच्छ औ’ अतुच्छ

    कहाँ बनाया मानस दर्पण ?...

     

    तमो-रजो-गुण तजो

    सतो गुण से जिन भजो

    तभी मँजो....तभी मँजो

    जलाओ हृदय में जन जन दीप

    ज्ञानमयी करुणामयी

    आलोकित हो / दृष्टिगत हो / ज्ञात हो

    ओ सत्ता......जो समीप...।


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