अहर्निश आत्मा में
ध्यान निधिध्यास
अध्यास / अभ्यास के
फलस्वरूप
आपमें हुआ है
सम्यग्ज्ञान रूपी
जाज्वल्यमान
प्रमाण का
आविर्माण...!
इसीलिए
चेतना की समग्र सत्ता पर
पूर्ण प्रभाव डालता
विद्यमान
मूर्तमान
मान ने
भावी अनंतकाल के लिए
आपको अपनी पराजित
पराभूत !
पीठ दिखाता
धावमान...
किया प्रयाण...
हे निरभिमान!
यह अंतर्घटना की भावाभिव्यक्ति
प्रमाण की सघन शान्त छाँव में
सहज सहवास में
रहने वाली
धरती निरखती
आपकी नत / विनम्र नासिका ने
मानाभिभूत मान की मूर्ति
पूर्ण फूला चम्पक फूल को
जीतती हुई
की है...