सत्ता पलट तो गई है
भोग का वियोग हुआ
योग का संयोग हुआ
किन्तु उपयोग का !
उपयोग कहाँ हुआ ?
भोक्ता पुरुष ने
उपयोग का उपभोग नहीं किया
मात्र परिधि पर..
परिणाम हुआ है बस !
अभी केन्द्र में
सूम्-साम है, शाम है !
हे ! घनशाम तुम-सा अनन्त
इसे भी
हो जाने दो...!