Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 7 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अब मैं मम मन्दिर में रहूँगा

       (4 reviews)

    अब मैं मम मन्दिर में रहूँगा.jpg

     

     

     

     

     

     

     

    अमिट, अमित अरु अतुल, अतीन्द्रिय,

    अरहन्त पद को धरूँगा

    सज, धज निजको दश धर्मों से -

    सविनय सहजता भजूँगा  ।। अब मैं ।।

     

    विषय - विषम - विष को जकर उस -

    समरस पान मैं करूँगा।

    जनम, मरण अरु जरा जनित दुख -

    फिर क्यों वृथा मैं सहूँगा? ।। अब मैं । ।

     

    दुख दात्री है इसीलिए अब -

    न माया - गणिका रखूँगा।।

    निसंग बनकर शिवांगना संग -

    सानन्द चिर मैं रहूँगा ।।अब मैं । ।

     

    भूला, परमें फूला, झूला -

    भावी भूल ना करूँगा।

    निजमें निजका अहो! निरन्तर -

    निरंजन स्वरूप लखूँगा ।। अब मैं । ।

     

    समय, समय पर समयसार मय -

    मम आतम को प्रनमुँगा।

    साहुकार जब मैं हूँ, फिर क्यों -

    सेवक का कार्य करूँगा ? ।।अब मैं । ।

     

    - महाकवि आचार्य विद्यासागर


    User Feedback

    Recommended Comments

    fगुरुवर आचार्य श्री को नमन। गुरुवर ने इसमें हमको बताया है कि सर्वप्रथम हमारा लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। तब ही हमारे द्वारा उठाये गए कदम का प्रारंभ सही होगा। इसलिए सर्व प्रथम हमारे जीवन का प्रथम लक्ष्य अरिहंत पद धारण का होना चाहिए। तभी विनीत पूर्वक दस धर्म मे हमारी प्रवर्ति प्रारम्भ होगी। उसके बाद ही विषमताओ से हटकर सम भाव रुचिकर लगेगा। 

    Link to comment
    Share on other sites



    Create an account or sign in to comment

    You need to be a member in order to leave a comment

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

×
×
  • Create New...