Abhay Jain Ambala Posted June 28, 2017 Report Share Posted June 28, 2017 (edited) आचार्य श्री विद्या सागर जी के चरणों मे एक कवि ने बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ प्रस्तुत की है पंचमकाल भी भाग्य पर अपने मन ही मन इतराता है,वृहद हिमालय अपनी गोद में पा हर्षित हो जाता है । चट्टानों पर पांव धरे तो पुष्प वहाँ खिल जाते है ,मरुथल में विहार करे तो नीरकुण्ड मिल जाते है । चरण धुली जिनकी पाने को अम्बर तक झुक जाता हो,सिद्ध शिला पर बैठे प्रभु से जिनका सीधा नाता हो । वर्तमान के वर्धमान की छवि मैं जिनमे पाता हूं ऐसे गुरु विद्यासागर को अपना शीश नवाता हूं । नमनकर्ता : अभय जैन अम्बाला सिटी हरियाणा Edited June 28, 2017 by Abhay Jain Ambala Link to comment Share on other sites More sharing options...
Nisha Jain Posted June 28, 2017 Report Share Posted June 28, 2017 आचार्य गुरुवर संत शिरोमणि श्री 108 विद्या सागर जी ऋषिराज के ससंघ चरणों मे संयम स्वर्ण महोत्सव के पावन अवसर पर सादर नमोस्तु । Link to comment Share on other sites More sharing options...
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