ब्र. विजयलक्ष्मी, विजयनगर Posted June 28, 2018 Report Share Posted June 28, 2018 (edited) ?वह हर हाल में अपना वचन निभाते हैं? किस ने मुझसे कहा यह तो याद नहीं पर क्या कहा था यह मुझे अच्छी तरह याद है क्योंकि जो कुछ कहा था वह गुरुदेव के बारे में था। ?जब अचार्य श्री पपौरा जी पहुंचे तो किसी व्यक्ति ने मुझसे कहा कि दीदी मैंने स्वयं सुना है कि आचार्य श्री ने अपने साधुओं से कह दिया है कि मैं तो ज्येष्ठ माह में विहार करूंगा। जिसे ज्येष्ठ माह में विहार ना करना हो वह जहां चाहे वहां रुक सकता है। उस व्यक्ति ने यह भी कहा कि दीदी ऐसी तेज धूप अभी से पड़ रही है। ज्येष्ठ माह में तो और ज्यादा तपन होगी। नए-नए साधु कैसे इतनी गर्मी में विहार सहन कर पाएंगे और स्वयं आचार्य श्री की आयु तो देखो। मैंने कहा भाई ध्यान रखो इस बार दो ज्येष्ठ माह हैं और आचार्य श्री के वचन कभी झूठे नहीं हो सकते। उन्होंने यदि ऐसा कहा है तो कुछ सोच समझकर ही कहा होगा। इस बीच कई बार WhatsApp पर आचार्य श्री का विहार हो गया, विहार हो गया ऐसी अफवाहें उड़ती रहीं। हम आनंद लेते रहे। दो चतुर्दशी भी निकल गईं। सोचते-सोचते कल रात मेरा मन अचानक मुस्कुरा पड़ा और बोला कल प्रातः काल आचार्य श्री का विहार अवश्य ही होगा क्योंकि कल ज्येष्ठ माह का अंतिम दिन है और आचार्य श्री के वचन कभी झूठे हो नहीं सकते। मेरे आनंद की सीमा नहीं रही जब मैंने सुना कि आज प्रातः काल आचार्य श्री का विहार पपौरा जी से हो गया है।?कितने कुशल हैं वे अपने वचन के निर्वाह में। वे वचन किसी को देते नहीं लेकिन उनके मुंह से जो वचन निकल जाएं वह असत्य होते नहीं।?कितने कुशल हैं वह अपने संघ के पालन में।?कितने कुशल हैं वे मन की बात को मन में छुपा कर रखने में। ? कितने कुशल हैं वे लोगों को सुख पहुंचाने में।?अनंत कुशलता के धारी गुरुवर को बारंबार प्रणाम।?काश! उनकी कुशलता का अंश मात्र भी मुझ में आ जाए तो बेड़ा पार हो जाए। ?जय हो गुरुदेव! आपकी सदा जय हो? Edited June 28, 2018 by ब्र. विजयलक्ष्मी, विजयनगर Link to comment Share on other sites More sharing options...
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