RupaliAditya Jain Posted February 28 Report Share Posted February 28 मेरे पास बोलने के लिए बहुत-बहुत–बहुत ज्यादा कुछ है लेकिन मैंने मेरे गुरुवर को सब कुछ बता दिया है वह हमारे बीच में नहीं है लेकिन वह हम सब के हृदय में थे, हैं और हमेशा रहेंगे, एक महावीर भगवान को हमने मंदिर में देखा है और एक महावीर भगवान को हमने चलते फिरते विद्या गुरुवर में देखा है, ऐसे हमारे एक संत अरिहंत से... के लिए कुछ पंक्तियां विद्या गुरु का क्या कहना, आप हो जैन धर्म का गहना, धन्य हैं दादागुरू ज्ञान सागर जी महाराज और, धन्य है आचार्य भगवन विद्यासागर जी महाराज, आगम की वाणी को हम तक पहुंचाया है, आपको पाकर हमारा रोम रोम हर्षाया है, आप को आती इतनी भाषाएं कि क्या कहना, लेकिन आप ने बना रखा है मातृभाषा हिंदी को अपना गहना, इंडिया नहीं भारत बोलो, संसार समुद्र में फंसे हो अब तो तुम मोक्ष मार्ग का ताला खोलो, गुरुवर की करुणा का नहीं कोई पार, आपने खुलवादी गोशालाएं अपार, जनकल्याण, हथकरघा, पूर्ण आयु आयुर्वेद संस्थान, प्रतिभास्थली, आपके आशीर्वाद से हुआ ना जाने कितने मंदिरों का निर्माण, आपने गुरुवर की है जैन धर्म की इतने अच्छे से प्रभावना, चल सकें आपके कदमों पर यही भाते हैं हम भावना, आपसे दीक्षित है ना जाने कितने शिष्य शिष्याऐ, आपकी तो चर्या ही ऐसी कि अपने आप लोग खिंचे चले आएं, आपको भला कौन कर सकता है शब्दों में बयान, बस एक बात और भगवन, जाना था तो चले जाते, जाना सबको है एक दिन यहाँ से, लेकिन आपने तो टाइम ही नहीं देखा, इतनी जल्दी चले गए 😔 Link to comment Share on other sites More sharing options...
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