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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

मेरी आपबीती


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नमोस्तु  नमोस्तु नमोस्तु भगवन

आज अर्द्ध रात्रि की काली निशा में डूब गया "जिन सूर्य" अनाथ हो गया आज विश्व का हर जीव.वो दृश्य जो हम कभी देखना तो छोड़ो कभी सोचते भी न थे...लिखते हुये भी हाथ कांप रहे, है..आँखे धार बहा रही है,दिल ये सत्य स्वीकार ने को विलकुल भी तैयार नही... कि इस घरती के चलते फिरते भगवान हमारे समक्ष नहीं रहे। 
मेरी वचपन से इच्छा थी एक बार तो भगवन के दर्शन हो जाए और इसी साल तीन चार वार दर्शन का पुण्य लाभ मिला और मुझे अन्तिम दर्शन का लाभ कुछ माह पहले मिला उस समय में पैरालायसिस की वजह से दोनों पैरों से लाचार हो गया था मैने जीने की आस छोड़ दी थी फिर मन में ख्याल आया कि एक बार भगवन का आशीर्वाद मिल जाये तो मैं ठीक हो जाऊँगा ये मुझे पूरा विश्वास था फिर घरवाले मुझे कैसे भी लेकर गये और शौच के लिए जाते समय भगवन खुद आकर मेरे पास रुके और मुझे देखकर आशीर्वाद दिया और आज भगवन के उस आशीर्वाद से मैं लगभग ७० प्रतिशत ठीक हो गया हूँ 
आज मैं भगवन की वजह से ही जीवित हूँ आप हमारे हृदय मैं हमेशा रहेंगे। 

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आज अर्द्ध रात्रि की काली निशा में डूब गया "जिन सूर्य" अनाथ हो गया आज विश्व का हर जीव.वो दृश्य जो हम कभी देखना तो छोड़ो कभी सोचते भी न थे...लिखते हुये भी हाथ कांप रहे, है..आँखे धार बहा रही है,दिल ये सत्य स्वीकार ने को विलकुल भी तैयार नही... कि इस घरती के चलते फिरते भगवान हमारे समक्ष नहीं रहे। 
मेरी वचपन से इच्छा थी एक बार तो भगवन के दर्शन हो जाए और इसी साल तीन चार वार दर्शन का पुण्य लाभ मिला और मुझे अन्तिम दर्शन का लाभ कुछ माह पहले मिला उस समय में पैरालायसिस की वजह से दोनों पैरों से लाचार हो गया था मैने जीने की आस छोड़ दी थी फिर मन में ख्याल आया कि एक बार भगवन का आशीर्वाद मिल जाये तो मैं ठीक हो जाऊँगा ये मुझे पूरा विश्वास था फिर घरवाले मुझे कैसे भी लेकर गये और शौच के लिए जाते समय भगवन खुद आकर मेरे पास रुके और मुझे देखकर आशीर्वाद दिया और आज भगवन के उस आशीर्वाद से मैं लगभग ७० प्रतिशत ठीक हो गया हूँ 
आज मैं भगवन की वजह से ही जीवित हूँ आप हमारे हृदय मैं हमेशा रहेंगे। 

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10 minutes ago, Shobhitjain said:

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आज अर्द्ध रात्रि की काली निशा में डूब गया "जिन सूर्य" अनाथ हो गया आज विश्व का हर जीव.वो दृश्य जो हम कभी देखना तो छोड़ो कभी सोचते भी न थे...लिखते हुये भी हाथ कांप रहे, है..आँखे धार बहा रही है,दिल ये सत्य स्वीकार ने को विलकुल भी तैयार नही... कि इस घरती के चलते फिरते भगवान हमारे समक्ष नहीं रहे। 
मेरी वचपन से इच्छा थी एक बार तो भगवन के दर्शन हो जाए और इसी साल तीन चार वार दर्शन का पुण्य लाभ मिला और मुझे अन्तिम दर्शन का लाभ कुछ माह पहले मिला उस समय में पैरालायसिस की वजह से दोनों पैरों से लाचार हो गया था मैने जीने की आस छोड़ दी थी फिर मन में ख्याल आया कि एक बार भगवन का आशीर्वाद मिल जाये तो मैं ठीक हो जाऊँगा ये मुझे पूरा विश्वास था फिर घरवाले मुझे कैसे भी लेकर गये और शौच के लिए जाते समय भगवन खुद आकर मेरे पास रुके और मुझे देखकर आशीर्वाद दिया और आज भगवन के उस आशीर्वाद से मैं लगभग ७० प्रतिशत ठीक हो गया हूँ 
आज मैं भगवन की वजह से ही जीवित हूँ आप हमारे हृदय मैं हमेशा रहेंगे। 

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