लपेट चिकित्सा पद्धति
पु. आचार्य श्री मूकमाटी महाकाव्य में कहा है
मिट्टी पानी और हवा, सौ रोगों की एक दवा
प्रकृति से जुड़े अध्यात्मिक संत आचार्य श्री का आशीष व प्रेरणा दे
आपको स्वस्थ तन, स्वस्थ मन
अपनाएँ : प्राकृतिक चिकित्सा "लपेट" स्वस्थ हो, भोजन कर सको भरपेट
साफा लपेट : तनाव दूर करे
विधि : 6 इंच चौड़ी व 2 मीटर लंबी सूती पट्टी, इस प्रकार की 2-3 पट्टियों को गोल घड़ी कर, पानी में गीला कर निचोड़ लें। इस पट्टी को (नाक का हिस्सा छोड़कर) समस्त चेहरे पर लपेट लें।
लाभ : इस पट्टी के प्रयोग से मस्तिष्क की अनावश्यक गर्मी कम होकर मस्तिष्क में अदभुत ठंडक व शांति का अनुभव होता है, साथ ही सिरदर्द व कान के रोग दूर होते हैं, मन व हृदय भी शांत बना रहता है।
गले की लपेट : गले के रोगों में चमत्कारिक लाभ
गले रोगों में चमत्कारिक परिणाम देने वाली यह लपेट है इसे करने से तुरन्त लाभ होना प्रारंभ हो जाता है। गले में हो रही खराश, स्वर यंत्र की सूजन (टांसिल) में इसके प्रयोग से लाभ होता है। वास्तव में गले की लपेट पेडू की लपेट व वास्ति प्रदेश की लपेट व अन्य लपेट एक तरह से गर्म ठण्डी पट्टी के ही समान है। विशेष तौर पर खाँसी व गला दुखने की अवस्था में इसे करने से तुरन्त लाभ हो जाता है और जब ये विकार खासतौर पर रोगी में जब उपद्रव मचाते हैं तो इस लपेट को करने से तुरन्त लाभ मिलता है व नींद भी अच्छी आ जाती है क्योंकि उक्त विकार की वजह से बैचेनी से जो हमें मुक्ति मिल जाती है।
विधि : 6 इंच चौड़ा व करीब डेढ़ मीटर लम्बा सूती कपड़ा गीला कर अच्छी तरह निचोड़ दें। इसे गले पर लपेट दें। इस गीली लपेट पर गर्म कपड़ा (मफलर) अच्छी तरह से लपेट कर अच्छी तरह पेक कर दें ताकि गीला कपड़ा अच्छी तरह से ढंक जाए। इस लपेट को 1 से डेढ़ घंटे तक किया जा सकता है किन्तु रोग की बढ़ी हुई अवस्था में इसे अधिक समय तक भी कर सकते हैं। लपेट की समाप्ति पर गले को गीले तौलिये से अच्छी तरह स्वच्छ कर लें।
छाती की लपेट : कफ ढीला करे
किसी भी अंग को ठंडक प्रदान करने के लिए पट्टी का प्रयोग किया जाता है। इस पट्टी के प्रयोग से रोग ग्रस्त अंग पर रक्त का संचार व्यवस्थित होता है। इसके साथ ही श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। इस पट्टी के प्रयोग से छाती में जमा कफ ढीला होता है। हृदय को बल प्राप्त होता है।
विधि : 7-10 इंच चौड़ा, 3/2 मीटर लंबा गीला सूती कपड़ा निचोड़ कर छाती पर लपेटे। इसके ऊपर गर्म कपड़ा (बुलन/फलालेन) लपेट दें।
लाभ : इससे हृदय की तीव्र धड़कन सामान्य हो जाती है, क्योंकि ठंडे पानी की पट्टी हृदय पर लपेटने से इस क्षेत्र का रक्त संचार व्यवस्थित हो जाता है। साथ ही विजातीय द्रव्य पसीने के माध्यम से बाहर हो जाते हैं। इस प्रयोग द्वारा हृदय की धड़कन सामान्य हो जाती है। छाती में जमा कफ ढीला हो जाता है। यह प्रयोग कफ रोग में लाभकारी है।
विशेष सावधानी : पट्टी के पश्चात् हथेलियों से छाती की हल्की मसाज कर उसे गर्म कर लेना चाहिए, ताकि शरीर का उक्त अंग अपने सामान्य तापमान पर आ जाए।
पेडू की लपेट : पेट रोग में चमत्कारी लाभ
पेडू की पट्टी समस्त रोगों के निदान में सहायक है। विशेषकर पाचन संस्थान के रोगों के निदान में रामबाण सिद्ध होती है। इससे पेट के समस्त रोग, पेट की नई पुरानी सूजन, पुरानी पेचिश, अनिद्रा, ज्वर, अल्सर, रीढ़ का दर्द व स्त्रियों के प्रजनन अंगों के उपचार में भी सहायक है। इसके अतिरिक्त यह किडनी व लीवर के उपचार में विशेष लाभ पहुँचाती है।
विधि : एक फीट चौड़ी व 1 से 1.5 मीटर लंबी पतले सूती कपड़े की पट्टी को पानी में भिगोकर निचोड़े व पूरे पेडू व नाभि के दो इंच ऊपर तक लपेटकर ऊपर से गर्म कपड़ा लपेट लेवें।
समयावधि : उक्त पट्टी खाली पेट सुबह शाम 2-2 घंटे तक लगा सकते हैं। रात्रि को सोने के पूर्व लगा सकते हैं। रात-भर पट्टी लगी रहने दें। भोजन के 2 घंटे बाद भी पट्टी लगा सकते हैं। इस पट्टी को लगाकर ऊपर से कपड़े पहनकर अपने नियमित कार्य भी कर सकते हैं। पट्टी लगाने के बाद जब पट्टी हटाएँ तो गीले तौलिए अथवा हथेली से पेडू की हल्की मसाज कर गर्म कर लें।
विशेष सावधानी : शीत प्रकृति के रोगी इस पट्टी के पहले पेडू को हाथों से अथवा गर्म पानी की थैली से गर्म कर पट्टी लपेटें। शीत प्रकृति के व्यक्ति सिर्फ 2 घंटे के लिए इस पट्टी का प्रयोग कर सकते हैं।
वस्ति प्रदेश की लपेट : जननांगों में चमत्कारिक लाभ
पेडू के विभिन्न रोग, पुरानी कब्ज, मासिक धर्म में अनियमितता, प्रजजन अंगों के रोग, जननेंद्रीय की दुर्बलता व अक्षमता में चमत्कारिक लाभ देने वाली लपेट वस्ति प्रदेश की लपेट है। इसके नियमित प्रयोग से उक्त रोग ही नहीं वरन् अनेक रोगों में लाभ होता है।
विधि : एक भीगा कपड़ा निचोड़कर वस्ति प्रदेश पर लपेट दें। यदि वस्ति प्रदेश पर ठंडक का अहसास हो रहा हो तो गर्म पानी की थैली से उक्त अंग को गर्म अवश्य करें। अब इस लपेट पर गर्म कपड़ा लपेट दें। उक्त प्रयोग को एक से डेढ़ घंटा किया जा सकता है।
मुख्य सावधानी : इस पट्टी को एक बार उपयोग करने के पश्चात साबुन अच्छी तरह से लगाकर धोकर धूप में सुखाकर पुनः इस पट्टी का प्रयोग किया जा सकता है। चूंकि पट्टी विजातीय द्रव्यों को सोख लेती है, अतः ठीक प्रकार से पट्टी की सफाई नहीं होने से चर्म रोग हो सकता है। उक्त पट्टी को सामान्य स्वस्थ व्यक्ति सप्ताह में एक दिन कर सकते हैं।
लाभ : पेट के रोगों में चमत्कारिक लाभ होता है।
पैरों की लपेट : खाँसी में तुरन्त लाभ पहुंचाने वाली पट्टी
इस लपेट के प्रयोग से सारे शरीर का दूषित रक्त पैरों की तरफ खींच जाता है। फलस्वरुप ऊपरी अंगों का रक्ताधिक्य समाप्त हो जाता है। इस वजह से शरीर के ऊपरी अंगों पर रोगों द्वारा किया आक्रमण पैरों की ओर चला जाता है। अतः मेनिनजाईटिस, न्यूयोनिया, ब्रोंकाइटीज, यकृत की सूजन व गर्भाशय के रोग की यह सर्वप्रथम चिकित्सा पद्धति है।
विधि : एक भीगे हुए और अच्छी तरह निचोड़े कपड़े की पट्टी को रोल बना लें, एड़ी से लेकर जंघा तक इस कपड़े को लपेट दें। इस पट्टी पर गर्म कपड़ा अच्छी तरह लपेट दें ताकि सूती कपड़ा अच्छी तरह से ढंक जाये। यदि पैरों में ठंडक हो तो गर्म पानी की थैली से पैरों को गर्म कर लें। ध्यान रहें रोगी के सिर पर ठंडे पानी की नैपकीन से सिर ठंडा रहे। इस प्रयोग को एक घंटे तक करें। किन्तु रोगी को आराम महसूस हो तो इस प्रयोग को अधिक समय तक किया जा सकता है। इस प्रयोग को रोगों के समय गला दुखने, खाँसी की तीव्रता की अवस्था में कर चमत्कारिक लाभ पाया जा सकता है। इस प्रयोग को करने के पश्चात अन्त में तौलिये से सम्पूर्ण शरीर को घर्षण स्नान द्वारा स्वच्छ कर लें।
पूर्ण चादर लपेट : मोटापा दूर करें
सामग्री : अच्छा मुलायम कम्बल जिसमें हवा का प्रवेश न हो सके एक डबल बेड की चादर, जिसमें सारा शरीर लपेटा जा सके, आवश्यकतानुसार मोटा या पतला एक तौलिया छाती से कमर तक लपेटने के लिए।
विधि : बंद कमरे में एक खाट पर गद्दी बिछा लें तथा उसके ऊपर दोनों कम्बल बिछायें सूती चादर खूब ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ने के बाद कम्बल के ऊपर बिछा दें। सूती चादर के ऊपर तौलिया या उसी नाप का दूसरा कपड़ा गीला करके पीठ के निचले स्थान पर बिछा दें। यह लपेट पूर्ण नग्न अवस्था में होना चाहिए। लेटते समय यह ध्यान रखें कि भीगी चादर को गले तक लपेटे। अब मरीज के सब कपड़े उतारकर उसे बिस्तर पर लिटा दें। लेटने के बाद तुरन्त सबसे पहले तौलिए को दोनों बगल में से लेकर कमर तक पूरे हिस्से को लपेट देना चाहिए। हाथ तौलिए के बाहर रहे, यह नहीं भूलना चाहिए। दाहिनी ओर लटकती हुई चादर से सिर की दाहिनी ओर, दाहिना कान, हाथ व पैर पूरी तरह ढंक देने चाहिए। इसी तरह बायीं ओर सिर, कान, हाथ तथा पैर चादर के बाएँ छोर से ढंकने चाहिए। चादर लपेटने के बाद नाक तथा मुँह को छोड़कर कोई भी भाग बाहर नहीं रहना चाहिए। अब चादर के ठीक ऊपर पूरी तरह ढंकते हुए पहला कम्बल और बाद में सबसे ऊपर वाला कम्बल लपेटा जाए। इस स्थिति में रोगी को 30-45 मिनिट रखें। ठंड ज्यादा लगे तो रोगी को बगल में गर्म पानी की बॉटल रख सकते हैं। चादर लपेट की अवधि रोगी की अवस्था के अनुसार घटा-बढ़ा सकते हैं।
लाभ : चादर लपेट के प्रयोग से रोगी विजातीय द्रव्य के जमाव से मुक्त होकर आरोग्य प्राप्त करता है।
पेट की गर्म-ठंडा सेक : अम्लता (एसीडिटी) दूर करे
सामग्री : एक बर्तन में गर्म पानी, दूसरे बर्तन में ठंडा पानी व दो नेपकीन।
विधि : गर्म पानी के बर्तन में नेपकीन को गीला कर पेडू पर तीन मिनिट तक रखे। अब गर्म पानी का नेपकीन हटा दें। अब ठंडे पानी में गीला किया नेपकीन रखें। इस प्रकार क्रमशः तीन मिनिट गर्म व एक मिनिट ठंडा नेपकीन रखें। इस प्रक्रिया को 15 से 20 मिनिट तक करें। ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया का प्रारंभ गर्म पानी की पट्टी से करें व क्रिया की समाप्ति ठंडे पानी की पट्टी से करें।
लाभ : इस पट्टी के प्रयोग से पेडू का रक्त का संचार तेज होगा व गर्म-ठंडे के प्रयोग से आँतों का मल ढीला होकर पेडू मल के अनावश्यक भार से मुक्त हो जाएगा।
सावधानी : पेट में छाले, हायपर एसिडिटी व उच्च रक्तचाप की स्थिति में इसे कदापि न करें।
विशेष टीप : गर्म पानी के नेपकीन के स्थान पर गर्म पानी की बॉटल अथवा रबर की थैली का प्रयोग किया जा सकता है।
साभार :- 125 स्वस्थ व निरोगी रहेने का रहस्य डॉ. जगदीश जोशी एवं सुनीता जोशी
- 5
- 1
1 Comment
Recommended Comments
Create an account or sign in to comment
You need to be a member in order to leave a comment
Create an account
Sign up for a new account in our community. It's easy!
Register a new accountSign in
Already have an account? Sign in here.
Sign In Now