जल में गिरे तेल को,
संपर्क कहा जाता है।
जल में गिरने वाले पाषाण को,
संघर्ष कहा जाता है।
किंतु दीप में पड़ी बाती को,
कहते हैं दिव्य संगम,
और दूध में मिलने वाले पानी को,
कहते हैं संबंध...
मोक्ष पाने तक आप ही रहे गुरु मेरे,
जिससे मिट जाये शीघ्र भव–भव के फेरे!
“मैंने जीवन नैया गुरुवर, आप भरोसे छोड़ी है।
जहाँ जिस दिशा में ले जाओ, गुरु आपकी मरजी है।।
मिला क्षीर में नीर जिस तरह, दीपक में ज्यों बाती है।
नंत काल संबंध रहे गुरु, यही शिष्य की अरजी है।”