आपको पाकर ऐसा लगा कि,
अनंत दोषो के कोष का...
अनगिनत गुणों के स्वामी से मिलन हो गया।
घने तमस में रहने वाले का...
दिव्यप्रकाश के स्रोत से मिलन हो गया।
तेज धूप की लपटो में,
सूखने वाली बूंद को...
विशाल दरिया ही मिल गया।
आज मुझ अल्पमति को भी लगा कि...
पूर्ण ‘विद्या का सागर' ही मिल गया।
“शांतिसागराचार्यवर्य से, वीरसिंधु आचार्य हुए।
तदनंतर शिवसागर सूरि, ज्ञानसिंधु आचार्य हुए।।
ज्ञान गुरु ने निज प्रज्ञा से, हीरा एक तराश लिया।
युगों-युगों तक जो चमकेगा, विधासागर नाम दिया।।”