आप अंतर्मुख होकर,
क्या करते हो?
किसी से कुछ नहीं कहते हो!
अकेले ही अकेले में,
निज में केलि करते हो
“ज्ञान गुफा में एक अकेले, अहो आत्म केलि करते।
अपने ही परमात्मा रूप को, नित्य निरखते ही रहते।।
मुकुरिमा के भावी स्वामी, होने से आनंदित हैं।
यह आनंद प्राप्त करने को, मेरा हदय प्रतीक्षित है।।”