Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • लेखनी लिखती है - 37

       (0 reviews)

    70.jpg

     

    लेखनी लिखती है कि-

    क्षेत्र से गुरु चाहे कितने हों दूर

    श्रद्धा दर्पण में उनका दर्शन हो जाता

    जिनके स्मरण करते ही

    मन के कोने-कोने में स्पंदन हो जाता

     

    जिनसे दृष्टि मिलते ही

    भीतर की बदल जाती है दृष्टि

    जिनका आशीर्वाद मिलते ही

    होती है आनंद की अनुभूति

    जिनके मौन होते ही

    प्रकृति भी हो जाती है शांत

    जिनके मुखरित होने पर

    प्रकृति के कण-कण से झरता है मकरंद।

     

    जो जगत् में रहकर भी

    अपने आप में रमते हैं,

    होकर बेखबर जगत् से

    न जाने कैसे सबकी खबर रखते हैं,

     

    अपनी ही सुध में रहकर

    औरों को कैसे ज्ञानसुधा पिला देते हैं,

    गुरु की महिमा तो गुरु ही जाने

    बड़े-बड़े विज्ञ भी समझ न पाते हैं।

     

    दाता कहो या गुरु एक ही है

    पात्र कहो या शिष्य एक ही है

    ऐसे महान् गुरु में कुछ तो है विशेष

    उनकी ऊर्जायित देहाकृति को

     

    शिष्य निरखता रहता अनिमेष

    वरना अपरिचित के समक्ष

    कैसे संभव है यह निरखन

    गुरुवर श्रीविद्यासागरजी के समीप्य में गुजारे

    सार्थक हुए वे ही क्षण।

     

    आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...