Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • लेखनी लिखती है - 27

       (0 reviews)

    50.jpg

     

    लेखनी लिखती है कि-

    सच्चे गुरु हैं जगत् में वे

    जो अपने गुरुत्व को भी कर देते विस्मृत

    पर्याय दृष्टि से हटकर

    द्रव्य दृष्टि का पीते हैं अमृतं।

     

    शिष्यों को तमस से प्रकाश

    पतन पाताल से उत्थान

    अधोमुखी से ऊर्ध्वमुखी

    दुख से हटाकर परम सुखी

    बनाते हैं 

    फिर भी कर्तापन की गंध नहीं लेते तनिक भी;

    क्योंकि वे जानते हैं 

    पर कर्ता बनना ही स्वात्मसुख का हंता होना है

    अपने ही हाथों से दुख के बीज बोना है।

     

    इसीलिए रहते वे निर्लेप

    जागृत रखते सदा विवेक

    जो करके अनंत उपकार

    चाहते सबका उद्धार

    पर बदले में चाहते नहीं कुछ भी किसी से

    इसीलिए गुरु का पुण्य बढ़ता है तीव्र गति से।

     

    मनसा वचसा वपुषा 

    पाप से तो परे हैं जो

    पर पुण्य फल की ओर दृष्टि भी नहीं रखते

    ऐसे ही सहज महामना को  

    शिष्यगण गुरु मान चरणों में नमते।

     

    जो करके कर्मों का अंत

    होना चाहते हैं अरहंत

    ऐसे गुरु भगवंत श्री विद्यासागर संत

    धरा गगन में

    रहे सदा जयवंत/जयवंत/जयवंत।

     

    आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...