Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • लेखनी लिखती है - 60

       (0 reviews)

    113.jpg

     

    लेखनी लिखती है कि-

    मेरे शिष्यों की संख्या बढ़ जाये

    नहीं सोचते यह गुरु

    भक्तों का सैलाब उमड़ आये

    नहीं चाहते यह गुरु

    अपने आत्मानंद में समाते हैं गुरु

    अनर्थकारी व्यर्थ क्रियाओं में

    समय गुजारते नहीं गुरु

    करने-करने की धुन लगाते नहीं गुरु,

     

    यद्यपि कठिन लगता है कुछ नहीं करना

    पर करना ही मरना है यह जानते हैं गुरु

    करने-करने की पुरानी है आदत

    इसीलिए सहज रहते हैं गुरु।

     

    जानना-देखना स्वभाव है आतम का

    इसीलिए देखो' यह कहते हैं गुरु

    व्यर्थ कुछ कहते नहीं

    अनर्थ कुछ करते नहीं

    अर्थपूर्ण जीवन जीते हैं गुरु

    आडम्बर रखते नहीं जो

    धरा बिछोना अंबर ओढ़ते वो

    पराधीनता से परे रहकर

    स्वाधीन स्वतंत्र रहते हैं गुरु ।

     

    वैसे गुरु तो अनेक हैं हमारे देश में

    भिन्न-भिन्न अभिनिवेश में

    भिन्न-भिन्न वेश में

     

    पर हर गुरु काश! ऐसा सद्गुरु होता

    तो सारे देश का नक्शा ही बदल गया होता

    न कोई दुखी रहता, न ही रोता।

     

    सच्चे संत के अभाव में ही

    आज मानव तितर-बितर हो रहा है

    सत्पथ प्रदर्शक के न मिलने से ही

    आज इंसान भटक रहा है

    सूनी है नगर गाँव गली

    गुरुवर श्रीविद्यासागरजी आप बिन

    भक्तों का हृदय गुरु-गुरु पुकार रहा है।

     

    आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...