आ।श्री।
१०८ आचार्य गूरुवर श्री विद्यासागर जी के चरण कमलों में कोटि-कोटि नमन-वंदन-अभिनंदन
सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु -अभिषेक जैन स-परिवार
वैराग्य
के
शुभ भाव
गूरुवर
हृदय में
सदा
पलते
रहे
निज
आत्मा
से मिलन
के शुभ
दीप
नित-प्रति
जलते
रहे
प्रभु
से मिलन
की
आश
विश्वास
प्रभु बस
आपकों
पाकर
हुआ
और मेरा
मलिन
मन
कुछ
जरा-सा
पावन
हुआ
आपसे
स्नेह
और
आशीष
की
बस
चाह है
आपकी
शुभ
शरण गूरुवर
मोक्ष
का उपाय है ||
सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
-अभिषेक जैन स-परिवार