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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • ३७. विनयांजली- आचार्य भगवन के पूरे प्राणी मात्र के प्रति उपकारों के लिये कृतज्ञता स्वरूप |

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    108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण कमलों में सत-सत नमन-वन्दन

    नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर                           -अभिषेक जैन सा-परिवार 

     

    गुरवर सच्ची शरण

    तुम्हीं हो

    जीवन जीने की सच्ची 

    राह तुम्हीं हो

     

    जग सागर में गोते खाती

    डग-मग नैया 

    खेवनहार तुम्हीं हो

    तुम्हीं खैबैया

     

    पुण्य-पाप से ऊपर क्या

    शाश्वत सुख द्वार

    शिव पथ का मार्ग, दुख

    मेटनहार तुम्हीं हो

     

    जब से तुमसे पहचान हुई

    ज्यों खुद से

    मुलाकात हुई है, शुद्ध-शुभ

    आतमज्ञान तुम्हीं हो

     

    शरण तुम्हारी लागे प्यारी

    ध्यान बिना भटके

    दुखिया संसारी 

    ज्यों पानी बिन मीन 

     

    गुरु चरण की धूल मिलें 

    बस इतनी सी

    विनय हमारी, विनती प्यारी

    आश तुम्हारी

     

    श्रद्धा सुमन समर्पित

    तन, मन अर्पित

    नमन, वन्दन, अभिनन्दन

    सन्त शिरोमणी गुरुवर।।

     

    सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर 

    -अभिषेक जैन सा-परिवार

     


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    श्रद्धा सुमन समर्पित

    तन, मन अर्पित

    नमन, वन्दन, अभिनन्दन

    सन्त शिरोमणी गुरुवर।।

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