आत्मा
सभी आचार्यों-उपाध्याय-साधुओं के चरणों में सत-सत नमन-वन्दन, नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर… -अभिषेक जैन स-परिवार
आत्मानुभूती का
सतत् जो सन्मार्ग है
आत्मानुशासन ही
मात्र जिसका द्वार है
बहिरात्मा से अंतरात्मा
का सूक्ष्म पथ-पाथेय है
निजात्मा से परमात्मा
मिलन का सरल उपाय है
है प्रभु, आपकी नित
वन्दना-आराधना से
वो स्वत: ही प्राप्य है
सु-ज्ञानधारा व्याप्त है
आपकी शुभ भक्ति से
तप-त्याग की शक्ति से
भक्ति-श्रद्धा-शुभभाव से
जीनागम के शुभसार से
है प्रभु, सब कुछ मिलेगा
संशय नहीं किंचित कोई
पर मुझें भौतिक सुखों की
न कोई अब मन में आश है
मोक्षमार्ग में बड़ सकूँ
बस यहीं एक चाह है
पा सकूँ शिव सुख सदा
आप पर दृढ़ विश्वास है
चरण-कमलों की रज
मिलें, प्रार्थना बस मेरी
आपमें नित लीन हो लूँ
चाहना दिल की यहीं
है प्रभु, मुझको पता है
भक्तों पर गुरु कृपा
रहती सदा, आप सम
बन जाउँ मैं, मेरी भावना।।
सादर नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरदेव
अभिषेक जैन स-परिवार