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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • ३२. विनयांजली- आचार्य भगवन के पूरे प्राणी मात्र के प्रति उपकारों के लिये कृतज्ञता स्वरूप |

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    108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनि महाराज के चरणों में सत-सत नमन-वंदन...

    नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर                                      -अभिषेक जैन स-परिवार 

     

    चार्य भगवन को सदा

    पूर्ण भक्ति, श्रद्धा, भाव से

    वन्दना करता सदा निज

    निजशक्ति सूक्ष्म-लघुता से 

     

    आडंबर रहित बन सकूँ प्रभु 

    मम हृदय की मंगल भावना

    गुरु-चरणों में मुझें शरण मिले 

    शुभ आत्म कल्याणकारी मार्गणा 

     

    सकल मनोरथ स्वमेव-पूर्ण होते

    हो यदि शुद्ध श्रद्धा-भक्ति भावना

    शुभ अनुराग गुरुवर से रहें नित ही

    हृदय से निकलती नित्यही भावना

     

    लख निर्मल रूप पावन आपका

    छबी निहार नेत्रों को तृप्ति मिलें

    शुभ भाव-कमल हृदय में  खिले 

    चरण की शरण पाके, कष्ट सभी मिटे 

     

    खिले ज्ञानलता सोयी, आराधना से

    आपमें निज-आत्मा के दर्श पाके,

    संसारिक-निधि कामनाएं सब मिटे

    मोक्षगामी जीव प्रभुवर, संशय नहीं 

     

    इसीलिए प्रभु आपका में,

    नित्य ही वन्दन करुँ

    आपकी प्रभु-भक्ति में,

    हृदय में पूर्ण श्रद्धा धरूँ 

     

    आपकी प्रभु भक्ति ही,

    संसार का तम हार ती

    आप में ही समाहित ज्ञानमय,

    माँ शारदे, माँ भारती।।

     

    सादर नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु

    -अभिषेक जैन स-परिवार

     

     


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    आपकी प्रभु भक्ति ही,

    संसार का तम हार ती

    आप में ही समाहित ज्ञानमय,

    माँ शारदे, माँ भारती।।

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