ये सागर से गहरे हिमालय से ऊँचे
इन्हें कौन बाँधे इन्हें कौन रोके
चंचल हवाओं के हैं ये झौंके
इन्हें कौन बांधे इन्हें कौन रोके
ये सागर..................
ये मलप्पा जी के राज दुलारे
मातु श्री जी की आँखों के तारे-2
जिसे माँ की ममता नहीं रोक पाये।
इन्हें........................
मुस्कान से जिनकी खिल जाएं कलियां
चरण जिनके बतलाएं जन्नत की गलियां-2
ये बहती हुई नदी के किनारे
इन्हें......................
ये कुन्द-कुन्द गुरु के हैं कुंदन
लगते हैं जैसे हों त्रिशला के नंदन-2
ये सबके मन मंदिर में समाये
इन्हें.....................
ये ईश्वर या उनकी जादूगरी है।
महावीर सी इनमें करुणा भरी है-2
ये राग-द्वेष को छोड़ चुके हैं।
इन्हें....................