ओ मेरे गुरुवर परम, ओ मेरी अंतिम शरण
तेरा ही वस ध्यान-2 तू ही मंदिर, तू ही पूजा, तू ही है भगवान
ओ.......................
तेरी शरणा आये जो भी, होगा वो ही जग की शान
रख जिसपे हाथ अपना, वो ही बन जाये महान
सबसे न्यारी कृपा तेरी, सबसे प्यारा तेरा नाम
तेरा ही.....................
माँ की ममता बन कभी, करुणा बहाते हो गुरु
बदरी सुख की बन कभी, मुझ पे ही छा जाते गुरु
उपकार तेरे लाख गुरुवर, ऑसू ये करते प्रणाम,
तेरा ही...................
मन में है बस एक आशा, तू ही मेरा हर करम
आऊँ जब जग में दुवारा, पाऊँ तेरी ही शरण
तु ही मेरी प्रात गुरुवर, तुम ही जीवन की हर शाम
तेरा ही.....