मीठे रस से भर्यो रे, गुरुवाणी लागे जिनवाणी लागे
मन्ने प्यारो-प्यारो, गंगा जी रो पाणी लागे ।
ज्ञान के सागर विद्यासागर, की महिमा को गाऊँ
पिता मलप्पा मात श्री मति, के ललना को ध्याऊँ
गुरुदेव की वाणी हो सुहानी लागे, हाँ सुहानी लागे
मन्ने. .............
मधुर मुरलिया जैसी लागे, गुरुदेव की वाणी
प्रवचन ऐसे लगे कि जैसे शक्कर संग निबोरी
गुरु की वाणी तो वीणा सी, सुहानी लागे हाँ सुहानी लगे।
मन्ने प्यारो.............