हीरे को परख लिया आचार्य ज्ञानसागर-2
फिर ऐसा तरास दिया, वन गए विद्यासागर
हीरे को...................
छोटा मुँह बात बड़ी, महिमा गाऊँ कैसे-2
सूरज की ज्योति हूँ, दीपक दिखाऊँ कैसे
शब्दों से भर देते ये गागर में सागर
हीरे को...................
जब ज्ञान के सागर में सरिता बहकर आई
जिनकी महिमा का पार नहीं पा सकता कोई
सरिता बहते-बहते, वन गया महासागर
हीरे को................
विद्यासागर जी के शिष्यों की ये परिभाषा
जंगल होता मंगल, होता जहां चौमासा
मन पुलक-पुलक उठता, जिनके प्रवचन सुनकर
हीरे को................