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मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता प्रारंभ ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा है, गुरुवर का द्वार।

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    स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा है, गुरुवर का द्वार।

    बना रहे आशीष आपका, आये गुरु के द्वार॥

    गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2

    (गुरु अशीष न छूटे, चरण की छाँव न छूटे)

     

    सूने जीवन की बगिया को आकर के महकाया।

    फूल खिलाये सौरभ दे, काँटो से है बचाया।

    जन्म-जन्म भटके जीवन में, दिशाबोध अब पायें।

    गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2

    गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें.....

     

    ज्ञान-दिवाकर की लाली सब जग में है बिखराई ।

    चंदन सी शीतलता दे, जन-जन की ताप मिटाई ॥

    समवशरण की अद्भुत महिमा का दर्शन करवाया।

    गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2

    गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें.....

     

    माता-पिता तुम मेरे, सच्चे गुरु हमारे।

    तुमसे मिला ये जीवन, तुम हो भगवान हमारे॥

    कहाँ मिलेगी इतनी ममता, इतना प्यार-दुलार।

    कभी गुरुद्वार न छूटे, चाहे ये जान भी रुठे

    गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2

    गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें.....

     

    भावों की भींगी कलियाँ, गुरु चरणों में है लाये।

    करके श्रद्धा हे गुरुवर, महिमा तेरी गाये ॥

    मुक्ति मंजिल देने वाले, है विश्वास हमारा।

    गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2

    गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें......


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