हे आचार्य गुरुवर!
आप प्रज्ञावान हैं।
ज्ञानवान हैं,
चारित्रवान हैं,
समता से सम्पन्न हैं,
करुणा के सागर हैं,
वात्सल्य की मूर्ति है,
हम आपकी वंदना करते हैं।
हमें भी आपके गुणों की प्राप्ति हो।
हम आपके तप-त्याग-
संयम की मन-वचन काय से तीन परिक्रमा
लगाकर हृदय से प्रणाम करते हैं।
नमोस्तु आचार्य श्री जी-3
Edited by संयम स्वर्ण महोत्सव