Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Sayam Swarn mahotsav

Members
  • Posts

    17
  • Joined

  • Last visited

 Content Type 

Forums

Gallery

Downloads

आलेख - Articles

आचार्य श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला

विचार सूत्र

प्रवचन -आचार्य विद्यासागर जी

भावांजलि - आचार्य विद्यासागर जी

गुरु प्रसंग

मूकमाटी -The Silent Earth

हिन्दी काव्य

आचार्यश्री विद्यासागर पत्राचार पाठ्यक्रम

विशेष पुस्तकें

संयम कीर्ति स्तम्भ

संयम स्वर्ण महोत्सव प्रतियोगिता

ग्रन्थ पद्यानुवाद

विद्या वाणी संकलन - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रवचन

आचार्य श्री जी की पसंदीदा पुस्तकें

Blogs

Events

Profiles

ऑडियो

Store

Videos Directory

Posts posted by Sayam Swarn mahotsav

  1. On 6/20/2018 at 2:45 PM, संयम स्वर्ण महोत्सव said:
    1. सर्वप्रथम अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु मुद्रा का कम से कम आधा मिनट अभ्यास करें।
    2. इन मुद्राओं का अभ्यास यथाशक्ति बढ़ाया जा सकता है।
    3. शांत बैठ जायें, ज्ञान मुद्रा में स्थित हों।
    4. थोड़ी देर अपनी श्वासों पर ध्यान दें। नासिका छिद्रों से आती-जाती श्वांस को देखते रहें।
    5. फिर अपने नाभि चक्र पर ॐ को स्थापित करें और मस्तिष्क पर अर्हं के अक्षरों को स्थापित करें।
    6. ॐ अर्हं नम: का लय बद्ध जोर से उच्चारण के साथ नाद करें।
    7. यह नाद तीन से अधिक बार जितना संभव हो करें।
    8. मन को इस प्रक्रिया से बांध कर रखें।
    9. ॐ अर्हं का प्रकाश जब बढ़ जाए तो शांत बैठकर पूरे शरीर में फैली हुई आत्मा का अनुभव करें।
    10. मन हटे तो पुन: श्वास पर टिकायें या फिर पूरे शरीर के संवेदनों को एक साथ ध्यान से देखते रहें।
    11. इस तरह 10-15 मिनट तक मन को शान्त और स्थिर करने के बाद आप अपने पूरे शरीर को और मन को स्वस्थ एवं ऊर्जावान महसूस करने लगेंगे।
    12. इसके बाद अर्हं योग क्रिया करें।
    13. मन को विशुद्ध भावों से भरने के लिए अर्हं योग प्रार्थना करें।
    14. ध्यान समाप्त करके अपने आसपास की ऊर्जा को विश्व कल्याण की भावना से विसर्जित कर दे |

     

×
×
  • Create New...