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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Ankush jain sagar

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  1. संयम स्वर्ण महोत्सव सागर

    *संयम स्वर्ण  महोत्सव पर सागर शहर में  हुए विभिन्न कार्यक्रम*
    आचार्य भगवान विद्यासागर जी महाराज के दीक्षा के 50 वर्ष पूर्ण होने पर नगर में विभिन्न *त्रि-दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये गए।*
    मंगल सानिध्य मुनि श्री १०८ पवित्र सागर महाराज,मुनि श्री १०८ प्रयोग सागर महाराज, आर्यिका माँ १०५ ऋजु मति माता जी ससंघ सानिध्य रहा।
    जिसमे 15/07/18 को  नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई *गुरू महिमा शोभा यात्रा* निकाली गई,शोभा यात्रा में मुख्य केंद्र बिंदु *हरकरघा की झांकी रही जो गोपालगंज जैन मंदिर से शामिल हुई,साथ ही साथ भाग्योदय तीर्थ में इस अवसर पर वृक्षारोपण किया करीब 500 वृक्ष संकल्पित होकर लगाए गए।*
    16/07/18 को *आचार्य छत्तीसी विधान* का आयोजन किया गया जिसमें 1008 जोड़ो में एक साथ बैठकर आचार्य भगवन की आराधना की,
    *दोपहर में 3 बजे केंद्रीय जेल सागर में मुनि द्वय के प्रवाचन हुये एवं संयम स्वर्ण महोत्सव के उपलक्ष्य में जेल के 1800 वंदी भाइयों को भोजन कराया गया।*
    रात्रि में 9:00 बजे से *आचार्य श्री 108 विद्यासागर महामुनिराज के जीवन पर आधारित मुनि श्री 108 क्षमा सागर जी द्वारा रचित "आत्मानवेसी "का आयोजन किया गया।*
    17/07/18 को
    शहर की लगभग सभी कालोनियों से विभिन्न महिला मंडलो के द्वारा बहुत ही सुंदर सुंदर द्रव्य सजाकर *आचार्य श्री जी की महापूजन मुनि श्री १०८ प्रयोग सागर जी महाराज के मुखारबिंद से सम्पन्न कराई गई।*
    डाक विभाग के द्वारा आचार्य श्री जी ऊपर डाक टिकट जारी किया गया।जिसका लोकार्पण डाक विभाग एवम सकल दिगंबर जैन समाज के द्वारा किया गया।
    *केंद्रीय जेल सागर में कैदियों के द्वारा निर्मित सदभावना राखी का विमोचन किया गया।*
    परम पूज्य मुनि श्री पवित्र सागर जी महाराज ने कहा कि मेरे पास जो कुछ वो सब उन्ही आचार्य भगवान का दिया हुआ है,शब्द और साज सब गुरुवर के है मैं तो मात्र एक निमित्त हुँ।
    *परम पूज्य मुनि श्री प्रयोग सागर जी महाराज ने कहा आचार्य भगवान को आज तक कोई समझ नही पाया सागर की गहराई एवम हिमालय की ऊंचाई को तो नापा जा सकता है।पर आचार्य श्री जी का गहन चिंतन,एवम गम्भीरता को आज तक कोई नही जान पाया।आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने एक ऐसा कोहिनूर हीरा दुनिया को दिया है जो सारे जग में उजाला कर रहा हैं।सूरज में तो तपन होती है पर विद्या रूपी सुर्य केपास तो हमेशा शीतलता मिलती है।*
    परम पूज्य आर्यिका रत्न ऋजुमति माता जी ने कहा कि आचार्य भगवान का अनंत उपकार इस धरा पर है।जो अनंतो जीवो के कल्याण के लिए हर पल चिंतित है।
    कार्यक्रम का संचालन विजय भैया लखनादौन ने किया।
    रात्रि में ठीक 8.30 बजे से भव्य महाआरती का आयोजन पूरे देश मे एक साथ किया जा रहा।
    *इस अवसर पर गुरूवर यात्रा संघ और सकल जैन समाज सागर ने कार्यक्रम को सफल बनाया है,एवम धर्मलाभ अजिर्त किया।*
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