मुजे वह दिन कभी भुलता नही। में ऑफिस के काम से नागपुर गया था।उन दिनो गुरुवर नागपुर नगर में विराजमान थे। मेरे एक अजैन मित्र ने उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और हम चल पडे। झात तो था की दुर से दर्शन होगे। हम पहोचे तब श्रावक गुरुवर की पुजा पढ रहे थे। हमने दर्शन और वंदन किया और हाथ जोड खडे हो गये। पता नही कैसे ( शायद गुरुवर की इच्छा और मेरा सौभाग्य), गुरुवर तक का पुरा पथ खाली दिखा और मेने गुरुवर के चरणो का स्पर्श किया। तत्क्षण मेरी आंखोसे अश्रुधारा निकल गई। आयेथे दर्शन करने और चरण वंदन का आनंद मिला। एसे है मेरे गुरुवर और सदा रहेंगे हमारे मनमंदिर में।
श्रमण संस्कृति के सूर्य ! को शत शत नमन
In नमोस्तु गुरुवर
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गुरुवर को शत् शत् नमन🙏🙏🙏।
मुजे वह दिन कभी भुलता नही। में ऑफिस के काम से नागपुर गया था।उन दिनो गुरुवर नागपुर नगर में विराजमान थे। मेरे एक अजैन मित्र ने उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और हम चल पडे। झात तो था की दुर से दर्शन होगे। हम पहोचे तब श्रावक गुरुवर की पुजा पढ रहे थे। हमने दर्शन और वंदन किया और हाथ जोड खडे हो गये। पता नही कैसे ( शायद गुरुवर की इच्छा और मेरा सौभाग्य), गुरुवर तक का पुरा पथ खाली दिखा और मेने गुरुवर के चरणो का स्पर्श किया। तत्क्षण मेरी आंखोसे अश्रुधारा निकल गई। आयेथे दर्शन करने और चरण वंदन का आनंद मिला। एसे है मेरे गुरुवर और सदा रहेंगे हमारे मनमंदिर में।