रामटेक में १ अगस्त २०१७ का दिन था। आचार्य भगवान कमरे में बैठे थे, में और बड़े भैया एक बार गुरु जी के दर्शन कर कमरे से बाहर आये, और थोड़ी देर हुई पुनः भैया जी के कहने पर लाइन में दर्शन के लिए पुनः चले गये, जैसे ही गुरु जी के चरण स्पर्श पुनः करे तभी गुरुजी जी बोल बड़े, बच्चो बार बार नहीं।
जब कि गुरुजी ने हमे सिर्फ़ १ मिनट से भी कम समय के लिए देखा , लेकिन दूसरी बार देखते ही तुरंत हमे पहचान लिया।
ये गुरुजी की स्मृति और नज़रे किसी कंप्यूटर के कैमरा से कम नहीं थी।
धन्य हो गुरुजी की साधना को।
ऐसा ही क़िस्सा पुनः २०२३ में डोंगरगढ़ में पुनः हो गया।
गुरु जी की स्मृति एवं नज़रे
In नमोस्तु गुरुवर
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रामटेक में १ अगस्त २०१७ का दिन था। आचार्य भगवान कमरे में बैठे थे, में और बड़े भैया एक बार गुरु जी के दर्शन कर कमरे से बाहर आये, और थोड़ी देर हुई पुनः भैया जी के कहने पर लाइन में दर्शन के लिए पुनः चले गये, जैसे ही गुरु जी के चरण स्पर्श पुनः करे तभी गुरुजी जी बोल बड़े, बच्चो बार बार नहीं।
जब कि गुरुजी ने हमे सिर्फ़ १ मिनट से भी कम समय के लिए देखा , लेकिन दूसरी बार देखते ही तुरंत हमे पहचान लिया।
ये गुरुजी की स्मृति और नज़रे किसी कंप्यूटर के कैमरा से कम नहीं थी।
धन्य हो गुरुजी की साधना को।
ऐसा ही क़िस्सा पुनः २०२३ में डोंगरगढ़ में पुनः हो गया।