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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

शब्दातीत विद्योदय


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सभी को संयम स्वर्ण महोत्सव कि हार्दिक शुभकामनाएँ। 

कल शाम विद्योदय देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ तो ऐसा लगा कि किसी महा पुण्योदय वश मै आचार्य श्री के कालखंड मे जाकर साक्षात अपने सामने सब कुछ होता देख रहा हूँ और उनके जीवन पट के घटनाओं का मूक साक्षी बन रहा हूँ। 

कुछ भी अपनी आँखों से ना चूके इस बात को ध्यान में रखकर अविरत बिना पलक झपके सब कुछ ग्रहन कर रहा था। 

मूकमाटी कि वो पवित्र पावन पंक्तियां और वालू चित्रकार की कलाकारी तो ह्रदय कि गहराई में उतर गयी।

एक बहुत ही सुंदर तरल ग्यानप्रद बोधपट बनाया है और मै उन सभी लोगों को धन्यवाद करना चाहता हूँ जो इसके निर्माण कार्य में शामिल हैं। 

और साथही यह आयोजन हमारे नगर में हो इसलिए जिन्होंने प्रयास किया उन सभी लोगों का आभार व्यक्त करता हूँ। 

विद्योदय समाप्त होने के पश्चात बहुत देर तक आखो से अश्रु प्रवाह रुक ही नहीं रहा है और ऐसा पहली बार हो रहा था। 

 

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