Saransh Jain Posted October 5, 2017 Report Share Posted October 5, 2017 आज अवतरण दिवस है उनका जो संसार सागर से 'अब-तरण' कर रहे हैं। नमोस्तु है, महामनीषी भेद- वैज्ञानिक संत को। मेरे भगवन को मेरी भावांजलि यद्यपि शब्दों में सीमित नही हो सकती फिर भी मन करता है की उनपर बार बार लिखूं। उनके बिना मेरा हर लेख अपूर्ण है इसीलिए मै तत्पर हूँ उनकी स्तुति करने के लिए। जन्म लिया, कृतकृत्य किया इस धरती पर किया धर्म प्रचार। आप सरीखा संत न कोई महिमा जिनकी अपरम्पार। गुण गाने को तत्पर हूँ पर गाने में असमर्थ रहा दर्श आपके जब जब करता भाग्य मेरे तब जगे अहा! वसुंधरा कागज़, कलम वृक्ष शाखा हो स्याही सागर तब भी पार न पाया जा सके आपका हे गुणों के आगर। ऐसे महान ऋषिराज के जन्म दिवस पर हम सब का मंगल हो यही कामना है । जैनम जयतु शासनं, वन्दे विद्यासगारम। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Mayur Pangal Posted October 28, 2020 Report Share Posted October 28, 2020 नमोस्तु गुरुदेव Link to comment Share on other sites More sharing options...
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