यह कोनी जी क्षेत्र की घटना है। रात के दो बजे थे। जहाँ सभी बहिनें एक कमरे में गहरी निद्रा में सो रही थीं। उस समय एक बिच्छू मेरे सिरहाने आया। मैंने जरा सा करवट बदलने का प्रयास किया कि उसने मेरे हाथ में ढंक मार दिया। मैंने बहिनों को आवाज दी- यहाँ पर बिच्छू है। बिच्छू का नाम सुनते ही सभी बहिनें एक साथ उठ गई। मैंने कहा- मुझे बिच्छू ने काट दिया। सभी ने बिच्छु खोजा पर मिला नहीं। बिच्छु के विष को उतारने का उतनी रात्रि में उपाय नहीं मिला। जैसे-तैसे रात्रि निकाली। (वह आचार्य भक्ति में हम सभी बहिनें पहुँचे। एक बहिन कहती है आचार्य श्री पुष्पा दीदी को आज दो बजे रात्रि में बिच्छू ने काट दिया। वह तो "अहमिक्को खलु सुद्धो' वाली समयसार की गाथा पढ़ती हुई हाथ को । यूँ हिलाती रही। जैसे भजिया बना रही हो। आचार्य श्री बोले- उसको रात भर वेदना हुई, तुम हँस रही हो ? मुझे देखकर कहते हैं- चौबीस घण्टे अन्दर बिच्छू का जहर उतर जाता है। अभी चार-पाँच घण्टे और रहेगा। जिस समय कह रहे थे उस समय उनके अन्दर संवेदना का सागर लहरा रहा था। बड़ी करुणा से भरकर आशीर्वाद दिया, कहा- ठीक हो जायेगा।