शंका - पूज्यश्री के चरणों में कोटि-कोटि नमोऽस्तु! मुनिश्री! मेरा प्रश्न यह है कि ऐसा सुनने में आता है, जब आचार्यश्री नैनागिरि में थे एवं कठिन साधना करते थे तो वहाँ पर उनके सामने कई बार जंगली प्राणी शेर आदि आ जाते थे। क्या यह सही है ?
- ब्रह्मचारी सुनील भैया जी, तारंगा
समाधान - देखिए, नैनागिरि में गुरुचरणों में 1985, 1986 और 1987 में शीतकाल में प्रवास हुआ, मतलब हमने आठ-दस महीने तीन प्रवासों में बिताए। घना जंगल था, अब तो जंगल साफ हो गया है। जब दीक्षा हुई तो हम लोग उन दिनों गुरुचरणों में ही लेटा करते थे। नैनागिरि के विषय में कहा जाता है कि उनके प्रवचनों के समय साँपों का जोड़ा आता था और हजारों लोगों ने देखा है। ऐसा भी कहते हैं कि गुरुदेव के पाटे के नीचे साँप बैठा रहता था। कभी। गुरुदेव से पूछा तो वह मुस्कुरा कर टाल दिए लेकिन जब हम लोग वहाँ अपनी चटाई लगा रहे थे (उन दिनों हम लोग पाटे पर नहीं लेटते थे, केवल चटाई बिछाते थे, पाटा संघ में नहीं था, जमीन पर चटाई बिछाते और उस पर लेटते) तो गुरुदेव ने कहा- छेद देखकर लगाना। मतलब समझ गए कि छेद से आवागमन होता है। नैनागिरि में क्षेत्र से बाहर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूरी पर एक स्थल है सिद्धशिला, जिसके बगल में नदी बहती है। ऐसा मैंने वहाँ के लोगों से सुना कि गुरुदेव यहाँ ध्यान करने जाते थे। अष्टमी-चतुर्दशी आदि में उपवास करते थे और पूरा दिन वहाँ रहते थे। वहाँ शेर आ जाया करते थे। शेर आए या न आए, हम लोगों ने शौच जाते समय बड़े जानवर के पंजे के निशान जरूर देखे हैं। यदि वह आते हों तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। गुरुदेव ने अपने मुख से कभी नहीं बताया कि शेर आते थे या नहीं।