शंका - गुरुवर! नमोऽस्तु! मेरा प्रश्न यह है कि आचार्य भगवन्त हम बच्चों के लिए क्या सोचते हैं?
- नैनसी जैन
समाधान - बहुत अच्छा प्रश्न पूछा कि बच्चों के लिए क्या सोचते हैं? मेरा तो अपना अनुभव है कि उनका चिन्तन हमेशा बच्चों पर रहता है। वह कहते हैं नींव को मजबूत बनाओ तो भवन अपने आप मजबूत होगा। प्रतिभास्थली जैसी संस्था बच्चों पर केन्द्रित होकर ही खुली है। वे कहते हैं कि समाज को बदलना है तो बच्चों से ही लो, छोटे-छोटे बच्चों को अगर प्रारम्भ से ही अच्छे संस्कार देंगे तो बच्चों का भविष्य अपने आप ही उज्ज्वल हो जाएगा इसलिए। प्रतिभास्थली में भी ऊपर की क्लासेस में बच्चों का एडमिशन नहीं लेते। वह कहते हैं कि नीचे से लो, ताकि उनके संस्कार अच्छे होते हैं। वह कहते हैं कि बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं, अगर उनका निर्माण ठीक ढंग से होगा तो हमारे देश का निर्माण होगा। आने वाले दिनों में हम अगर पूरे के पूरे देश व समाज को एक सशक्त व संस्कारित राष्ट्र व समाज के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, तो आज से जन्म लेने वाले बच्चों के प्रति हम अपना ध्यान केन्द्रित करें। अगर हम उन्हें संस्कारित करेंगे, सशक्त बनाएँगे तो हमारा देश व समाज सब परिवर्तित हो जाएगा। कभी बच्चे उनके पास आते भी हैं, तो बच्चों को उनका आशीर्वाद भी मिल जाता है। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि माँ-बाप को दर्शन नहीं मिले, बच्चे अन्दर घुस गए और बच्चों को आशीर्वाद मिल गया। यह उनकी करुणा है, यह उनकी कृपा है, बच्चों को कभी घबराना नहीं चाहिए। बस यह मानो कि वह हमारे आचार्य हैं, आचार्य भगवान् है और अपने हृदय में बसाओ, उनको अपने जीवन का आदर्श बनाओ और उसी अनुरूप अपने जीवन को आगे बढ़ाओ।