शंका - आचार्यश्री व गुरुदेव के चरणों में नमोऽस्तु! आचार्यश्री के प्रति अगाध भक्ति और वात्सल्य का ऐसा क्या आकर्षण झलकता है कि दीक्षा लेने के भाव जाग जाते हैं और गुरु चरणों में झुक जाते |
- श्री अनिल मेहता, उदयपुर |
समाधान - देखो, ऐसा होता है कि जो पावरफुल चुम्बक होता है वह जहाँ रहता है, लोहा अपने आप खिंचा चला जाता है। उनका चुम्बकीय गुण है, उनके अन्दर एक अद्भुत चुम्बकीय शक्ति है, चुंबकीय आकर्षण है जो उनकी रेंज में एक बार पहुँच गया एकदम खिंच जाता है। सौभाग्य समझो उनके सम्पर्क में जाने के बाद भी अगर कुछ नहीं बन पाए तो समझना तुम अभी शुद्ध लोहा नहीं हो, उस पर कोई पेण्ट चढ़ा है। पूर्वाग्रह का, आसक्ति का, राग का सारा पेण्ट उतार दो फिर गुरु चरणों में जाओ पेन्ट (पहनने वाली) भी उतर जाएगी और शर्ट भी।