यह बात उस समय की है जब आचार्य महाराज भोपाल में झिरनों के मंदिर में दर्शन करने गये थे। बहुत प्राचीन खड़गासन प्रतिमा जी के दर्शन किये। वहाँ एक सज्जन ने पूछा आचार्य श्री जी ये कौन से भगवान हैं, आचार्य श्री जी ने कहा कौन से भगवान हैं बस भगवान हैं, इतना ही जानो। सज्जन पुनः बोले - चिन्ह तो देखो इस प्रतिमा जी में स्पष्ट नहीं हैं। तब आचार्य गुरूदेव ने कहा कि बस वीतरागता ही इनका चिन्ह है।