आधुनिक शिक्षा के बारे में चिन्ता व्यक्त करते हुए आचार्य महाराज जी ने कहा कि - आज जहाँ बच्चे पढ़ते हैं वह सरस्वती का मंदिर है| हॉस्टल आदि में बच्चों को शुद्ध, भक्ष्य एवं दिन में भोजन की व्यवस्था करना चाहिए| यह श्रावकों का कर्तव्य है, इससे बच्चे बीमारी एवं कुविचारों से बच सकते हैं। मैंने कहा - आचार्य श्री जी आज विज्ञान के युग में मात्र व्यक्ति सुविधा देखता है, धर्म और संस्कारों की ओर किसी की दृष्टि नहीं जाती। आचार्य श्री ने कहा इसलिए तो सोचा है कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था की जावे ताकि बच्चे ज्ञान विज्ञान के साथ सम्यग्ज्ञान भी प्राप्त कर सकें। यह प्रतिभा मण्डल की बहिनें तैयार हो रही हैं, जिनके माध्यम से स्कूल में धार्मिक संस्कार भी दिये जायेंगे।