सर्वोदय तीर्थ अमरकण्टक में श्रावकाचार की कक्षा में श्रावक को किस प्रकार से आजीविका चलाना चाहिए। गुरूदेव ने बतलाते हुये कहा कि आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज जी ने बताया था कि एक सेठजी थे वे अहिंसा धर्म में बड़ी ही निष्ठा रखते थे | उन्होंने अपने पुत्र से कह दिया था कि तुम कपड़े की दुकान खोल सकते हो, लेकिन कपड़े की फैक्ट्री (मिल) नहीं खोल सकते क्योंकि उसमें हिंसा होती है। और सोने, चाँदी, हीरे, जवाहरात की दुकान खोल सकते हो लेकिन खदान में ठेका नहीं ले सकते क्योंकि उसमें हिंसा अधिक होती है। हमें हिंसा से बचना चाहिए। मूल उद्देश्य हिंसा से बचने का होना चाहिए। अनर्थ से धन कमाना ठीक नहीं। परमार्थ के साथ अर्थ का उपार्जन करना चाहिए। प्रत्येक श्रावक को सात्विक धंधा अपनाना चाहिए।