पंचकल्याणक का कार्यक्रम सम्पन्न होने जा रहा था। ध्वजारोहण के दिन एक सज्जन आचार्य महाराज के पास में आकर फोटो खींचने लगे पास आते हुए देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह गुरूदेव से कुछ बात करने जा रहा हों या कुछ नियम लेने आया हो, तब आचार्य श्री जी ने कहा - मैंने सोचा तुम कुछ व्रत, नियम लेने आये हो तुम तो फोटो लेकर चले गये।
( छपारा )