समयसार के महत्व को वही जान सकता है जो समय को जान लेता है। समय की कीमत समय (आत्मा) की कीमत जानने वाले को ही हो सकती है। जो समय (आत्मा) से अपरिचित है वह समय से भी अपरिचित है। समय की चिन्ता समय (आत्मा) की चिन्ता करने वालों को होती है। समय को व्यर्थ गमाने वाले कभी समय के, आत्मा के महत्व को नहीं समझ सकते। इस मिले हुये समय में यदि समय (आत्मा) से मिल लिया तो समझना फिर समय अपने से दूर नहीं। समय की पहचाने ही अपने आप की पहचान है।
समय (आत्मा) को समय में कर्मों से नहीं बाँधना बल्कि प्राप्त समय में समय (आत्मा) से बंधे कर्मों को काटना है। उपलब्ध समय में समय (आत्मा) की पहचान कर लो। आज तक हमने अन्य सभी जड़ पदार्थों की कीमत की है। लेकिन अपने पास जो समय (आत्मा) को अनंत समय हो जाने पर भी प्राप्त नहीं कर पाये।
समय की पहचान उसकी कीमत करने वाले के लिए, जिन्होंने समय की पहचान की है, कीमत की है उनको आदर्श बनाना आवश्यक हो जाता है। कुण्डलपुर में आचार्य श्री जी के पास एक सज्जन आये और वे कहने लगे कि महाराज यह पुस्तक कीमती है (लगभग 300/-) जो आपको पढ़ने के लिए लाये हैं। इस पुस्तक को आप अवश्य पढ़ियेगा।
आचार्य श्री ने कहा कि इस पुस्तक से कीमती हमारा समय है। इस पुस्तक से कीमती हम अपना समय खर्च नहीं कर सकते। इससे ज्ञात होता है कि आचार्य श्री अपने समय को समय (आत्मा) की उपलब्धि में ही लगाने को कहते हैं, अन्य जगह नहीं। (कुण्डलपुर)