उस स्थान की यह बात है जो स्थान संगमरमर के पत्थरों को अपनी गोद में लिए हुये हैं और धुआँधार जलप्रपात के नाम से प्रसिद्ध है। जिसे लोग भेड़ाघाट के नाम से जानते हैं। वहीं एक स्थान है जिसे स्वर्गद्वार के नाम से जानते हैं। उस स्थान पर जाते हुए रास्ते में हम कुछ महाराज भटक गये और ऊपर पहाड़ पर पहुँच गये, वहाँ से नीचे देखा तो सही रास्ते से आचार्य महाराज और अन्य महाराज जी भी जा रहे थे तो मैंने कहा - हे गुरूवर! हम लोग भटक गये हैं आपके पास आने का रास्ता बतलाइये तो आचार्य महाराज ने हँसकर कहा - 'अरे अभी एक बार ऊपर चले जाओ (स्वर्ग) से लौटकर आओ फिर रास्ता (मोक्ष का) मिल जावेगा। अभी सीधा मोक्ष नहीं प्राप्त किया जा सकता।