आचार्य गुरूदेव ने ज्ञानी-अज्ञानी की परिभाषा बताते हुए कहा कि - एक सज्जन ने आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज से शंका व्यक्त करते हुए कहा कि- ज्ञानी-अज्ञानी की परिभाषा क्या है? आचार्य महाराज बोले आपने श्रीफल चढ़ाया हमने देखा यह श्रीफल है, यही ज्ञानीपन है और यदि यह देखकर अन्यथा भाव आया। इन्होंने श्रीफल हमको ही चढ़ाया है, अन्य किसी को नहीं चढ़ाया है तो यह विकल्प आना अज्ञानीपना हो गया और किसी अन्य सांसारिक स्वार्थ के लिए चढ़ाया है तो यह श्रावक का अज्ञान हो गया। बस यही ज्ञानी-अज्ञानी की छोटी सी परिभाषा है।