यह उस समय की बात है जब किसी दुःखित प्रसंग की चर्चा चल रही थी। आचार्य श्री ने बताया कि लोग हमारे पास आते हैं और कहते हैं। महाराज हम बहुत दुःखी हैं ऐसा आशीर्वाद दो ताकि हमारा सारा दुःख दूर हो जाये, इसके बारे में आचार्य ज्ञान सागर ही कहते थे कि - यह कौन सा काल है ? पंचमकाल है तो पंचमकाल पर आपको विश्वास है यदि विश्वास है, यदि है तो बतलाइये इसका क्या नाम है? दुःखमाकाल। फिर भैया दुःख ही मिलेगा सुख नहीं। इसलिए इसे कर्म का उदय समझकर सहन करना चाहिए और कर्म काटना चाहिए ताकि आगे दुःख ना मिले। वरना आगे दुःखमा-दुःखमा काल मिलेगा| उस काल में तो प्रवचन भी नहीं सुन सकते, श्रद्धाने मजबूत करने के लिए दुःखमा काल तो वरदान सिद्ध होता है।