आचार्य श्री जी ज्ञान और आस्था के बारे में समझाते हुए कहते हैं कि- ज्ञान एक ऐसा लड़का है जो कमाऊ होने के साथ-साथ ऊधमी है। जब आपत्ति आती है तो ज्ञान रूपी भाई चिल्लाने लगता है। लेकिन आस्था रूपी बहन आपत्ति को झेलती है। सहनशीलता ज्ञान से नहीं बल्कि मजबूत श्रद्धान होने से आती है। श्रद्धा ही है जो ज्ञान को सम्यग्ज्ञान बनाती है। ज्ञान को सम्यक्त्वपना शिक्षण व प्रशिक्षण से नहीं मिलता बल्कि श्रद्धा से प्राप्त होता है।
तब मैंने कहा- आचार्य श्री जी श्रद्धा और ज्ञान भाई-बहन जैसे हैं तब आचार्य श्री जी ने कहा कि- हाँ, आस्था बहन है और ज्ञान उसका छोटा भाई है। भाई का महत्त्व उसकी बहन से बढ़ जाता है। श्रद्धा रूपी बहन जब अपने छोटे भाई ज्ञान को समझाती है तो वह अपनी बड़ी बहन की बात मान लेता है। बहन- "उभय कुल मंगलवर्धिनी" हुआ करती है। उभय कुल का अर्थ है आस्था-ज्ञान, चारित्र को बढ़ाने वाली है।