यह उन दिनों की बात है जब गर्मी अच्छी पड़ रही थी, 3-5-2002 को सुबह इटावा की ओर विहार करते हुये जा रहे थे, आचार्य गुरूदेव से कहा - कल राजस्थान के श्रावकगण दर्शनार्थ आये थे, राजस्थान चलने का निवेदन भी कर रहे थे, तभी मैंने पूछा - आचार्य श्री राजस्थान में भी क्या ऐसी ही गर्मी पड़ती है? आचार्य महाराज ने कहा- नहीं वहाँ, यहाँ जैसी गर्मी नहीं पड़ती, यहाँ तो बहुत गर्मी है। भैया - सागर, जबलपुर, ललितपुर पूरे बुन्देलखण्ड में सर्दी गर्मी दोनों ज्यादा पड़ती हैं और यही हमारा केन्द्र है। तो हमने कहा हाँ आचार्य श्री आपका तो "बुन्देलखण्ड केन्द्रीय कार्यालय" है। आचार्य श्री बोले - हाँ और इस (बुन्देलखण्ड) को हम छोड़ नहीं सकते क्योंकि यहाँ हमारी दुकान अच्छी चलती है, संयम रतन खरीदने वाले यहीं मिलते हैं।