यह बात उस समय की है जब अतिशय क्षेत्र कोनी जी में धवला जी पुस्तक बारहवीं की वाचना चल रही थी, प्रसंगवशात् आचार्य गुरूदेवसे पूछा - आचार्य श्री जी आदिनाथ जी ने शब्द और अंक विद्या, ब्राह्मी, सुन्दरी दोनों कन्याओं को ही क्यों सिखलायी। पुत्र भरत और बाहुवली जी को क्यों नहीं? तब आचार्य श्री जी ने कहा, क्योंकि बेटियाँ शादी के बाद दूसरे घर चली जाती हैं फिर वे सीख नहीं पायेंगी । बच्चे तो हमेशा पास रहते हैं, इसलिए कभी भी सीख लेंगे।