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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अपना कर्तव्य

       (1 review)

    विहार करते हुए पूरा संघ नदी के पास पहुँचा। वहाँ एक बहुत बड़ा बांध बंधा हुआ था। उस बांध में गेट लगे हुए थे।यदि पूर्ण गेट खोल दिये जावे तो नदी में बाढ़ आ जाती और न जाने कितनी जन-धन की हानि हो सकती थी। वहाँ पर उस संबंधी जानकारी रखने वाले इंजीनियर, कर्मचारी वगैरह रहते थे, जो पूर्ण जानकारी रखते हैं।

     

    आचार्य महाराज ने बांध में भरे हुए पानी को देखकर कहा - बांध में भले ही कितना भी पानी भरा रहे लेकिन वह कभी भी हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकता क्योंकि उसमें। मजबूत गेट लगे हुए हैं। ठीक वैसे ही इस संसार की नदी में हमारे सामने पञ्चेन्द्रिय विषय भरे पड़े हैं लेकिन, ये हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। बस गेट मत खोलो, पञ्चेन्द्रिय एवं मन रूपी गेट को बंद रखो, मन को संयत रखो। यहाँ बांध पर सरकार आकर बार-बार नहीं देखती। यह तो यहाँ जिन्हें जिम्मेदारी दी गयी है उन सभी का कर्तव्य है - बांध को व्यवस्थित रखना। ठीक वैसे ही हम साधकों से देव-शास्त्र-गुरु बार-बार कुछ नहीं कहते यह तो आपका कर्तव्य है, आप करिये।

     

    सच है गुरु महाराज के अंतस् की पवित्रता को इन प्रसंगों के माध्यम से अनुभूत किया जा सकता है। वे अपने कर्तव्यों के प्रति कितने जागृत रहते हैं एवं अपने पास आये शरणागत को भी कर्तव्यों के प्रति हर समय सचेत करते रहते हैं। उनके प्रत्येक वाक्य में कर्तव्य की महक घुली रहती है एवं धर्म का मर्म प्रकट होता दिखाई देता है । ऐसे कर्तव्यनिष्ठ, निष्पृही, गुरुदेव के चरण सदैव वन्दनीय हैं।

     

    भू पर निगले नीर में, ना मेंढ़क को नाग।

    निज में रह बाहर गया, कर्म दबाते जाग।।

    (20 नबम्बर 2002)


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    PreetiJain

      

    आचार्य श्री जी के पावन चरणों में बारम्बार नमोस्तु 🙏🙏🙏🙏🙏

    बहुत अच्छा और ज्ञानवर्धक संस्मरण।

    अगर हम अपनी पंचेंन्द्रिय और मन पर नियंत्रण रखें तो मोक्ष मार्ग की राह पर निर्विकल्प हो कर बढ़ सकते हैं।

    🙏🙏🙏🙏🙏

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